Folk dance of India: लोक नृत्य हर क्षेत्र की परंपराओं, रीति-रिवाजों और भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाते हैं। ये नृत्य आमतौर पर त्योहारों, विवाह, फसल कटाई, बच्चों के जन्म और ऋतु परिवर्तन जैसे मौकों पर प्रस्तुत किए जाते हैं। ये नृत्य स्थानीय जीवन शैली, परंपराओं, त्योहारों और सामाजिक समारोहों का अहम अंग होते हैं।
लोक नृत्यों को सामूहिक रूप से किया जाता है, जो एकता, सहयोग और सामाजिक मेल-जोल को बढ़ाते है। लोक नृत्यों में पारंपरिक संगीत, लोकगीत और वाद्य यंत्रों का उपयोग होता है, जो नृत्य के सौंदर्य ओर बढ़ाते हैं।
यह सूची भारत के विभिन्न राज्यों में प्रचलित लोकनृत्यों का एक संक्षिप्त और व्यवस्थित विवरण प्रस्तुत करती है। प्रत्येक राज्य के लोकनृत्य उस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
भारत के लोक नृत्य की सूची (List of folk dance of India):-
- जम्मू-कश्मीर:
- रउफ, हिकात, कूद, दमाली
– ये नृत्य इस क्षेत्र की धार्मिक एवं सामाजिक परंपराओं को उजागर करते हैं।
- रउफ, हिकात, कूद, दमाली
- पंजाब:
- गिद्दा, डफ, चंग, भांगड़ा
– भांगड़ा में पुरुषों के साथ-साथ गिद्दा में महिलाओं की ऊर्जा और उमंग झलकती है।
- गिद्दा, डफ, चंग, भांगड़ा
- राजस्थान:
- घूमर, नेजा, गवरी, गणगौर, कालबेलिया (यूनेस्को सूची में शामिल)
– घूमर और कालबेलिया जैसे नृत्यों में रंगीन पोशाक और जीवंत ताल का समावेश होता है।
- घूमर, नेजा, गवरी, गणगौर, कालबेलिया (यूनेस्को सूची में शामिल)
- गुजरात:
- गरबा, डांडिया, पणिहारी, लास्या, भवाई, टिप्पाणी
– गरबा और डांडिया मुख्य रूप से नवरात्रि के अवसर पर किया जाता है।
- गरबा, डांडिया, पणिहारी, लास्या, भवाई, टिप्पाणी
- महाराष्ट्र:
- ललिता, नकरा, लावणी, तमाशा, गफा, कोली
– लावणी और तमाशा में तेज़ ताल, ढोलक की थाप और भावपूर्ण गीत सुनाई देते हैं।
- ललिता, नकरा, लावणी, तमाशा, गफा, कोली
- कर्नाटक:
- कुनीता, लाम्बी, कर्गा, यक्षगान
– यक्षगान में नृत्य के साथ नाटक का भी समावेश होता है।
- कुनीता, लाम्बी, कर्गा, यक्षगान
- गोवा:
- खोल, ढकणी, शिग्मो
– गोवा के नृत्यों में पुर्वी और पश्चिमी प्रभाव का मिश्रण देखने को मिलता है।
- खोल, ढकणी, शिग्मो
- केरल:
- थुलाल, कथकली, ओणम, मोहिनीअट्टम्, ओट्टम
– कथकली और मोहिनीअट्टम् में शास्त्रीय तकनीक के साथ लोक परंपरा की झलक मिलती है।
- थुलाल, कथकली, ओणम, मोहिनीअट्टम्, ओट्टम
- तमिलनाडू:
- भरतनाट्यम, कोलट्टम्
– भरतनाट्यम को शास्त्रीय नृत्य के रूप में तो जाना जाता है, पर यह लोक संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है।
- भरतनाट्यम, कोलट्टम्
- आंध्रप्रदेश:
- कुचीपुड़ी, मोहिनीअट्टम्, घड़ी, लम्बाड़ी, वीरनाट्यम
– यहाँ के लोकनृत्यों में पारंपरिक गीत और स्थानीय वेशभूषा का महत्व है।
- कुचीपुड़ी, मोहिनीअट्टम्, घड़ी, लम्बाड़ी, वीरनाट्यम
- ओडिशा:
- सवारी, घूमरा, छऊ, पैगा
– ओडिशा में छऊ नृत्य को पारंपरिक और आधिकारिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
- सवारी, घूमरा, छऊ, पैगा
- पश्चिम बंगाल:
- काठी, बाऊली, मरसिया, जात्रा, ढाली
– ये नृत्य साहित्यिक और धार्मिक कथाओं से प्रेरित होते हैं।
- काठी, बाऊली, मरसिया, जात्रा, ढाली
- छत्तीसगढ़:
- करमा, डागला, दीवारी, घोडी, झूमर, पण्डवानी (नृत्यागंना – तीजनबाई)
– करमा नृत्य में किसान जीवन, फसल और प्रकृति की महत्ता झलकती है।
- करमा, डागला, दीवारी, घोडी, झूमर, पण्डवानी (नृत्यागंना – तीजनबाई)
- झारखण्ड:
- छऊ, करमा, डांगा, सोहराई
– झारखण्ड के नृत्यों में आदिवासी जीवन की झलक स्पष्ट दिखाई देती है।
- छऊ, करमा, डांगा, सोहराई
- उत्तरप्रदेश:
- रासलीला, नौटंकी, चाचरी, झूला, कजरी, जेता, चरकुला
– यहाँ के लोकनृत्यों में धार्मिक कथाओं और ब्रज संस्कृति का गहरा प्रभाव है।
- रासलीला, नौटंकी, चाचरी, झूला, कजरी, जेता, चरकुला
- उत्तराखंड:
- रासलीला, झोरा, चपादी, कजरी
– ये नृत्य पर्व और धार्मिक आयोजनों में विशेष रूप से किए जाते हैं।
- रासलीला, झोरा, चपादी, कजरी
- हिमाचल:
- चम्बा, नटेली, डांगी, छपेली, छड़ी
– हिमाचली नृत्यों में ठंडी हवा, पहाड़ों और प्राकृतिक सुंदरता का प्रतिबिंब होता है।
- चम्बा, नटेली, डांगी, छपेली, छड़ी
- असम:
- बिहू (वर्ष में 3 बार), बिछुआ, बुगुरूम्बा
– बिहू नृत्य में कृषि, फसल और उत्सव की खुशी स्पष्ट रूप से झलकती है।
- बिहू (वर्ष में 3 बार), बिछुआ, बुगुरूम्बा
- मेघालय:
- लाओ, बांग्ला, नोंगक्रेम
– मेघालय के लोकनृत्यों में जनजातीय पहचान और प्राकृतिक जीवनशैली का अद्भुत समावेश है।
- लाओ, बांग्ला, नोंगक्रेम
- नागालैण्ड:
- चोग, खेवा
– नागालैंड के नृत्यों में स्थानीय जनजातीय परंपरा और उत्सवों का रंगीन मिश्रण होता है।
- चोग, खेवा
- मिजोरम:
- चेरोकान, पाखुपिला
– मिजोरम के लोकनृत्यों में बांस के डंडे और पारंपरिक गीतों का सुंदर मेल है।
- चेरोकान, पाखुपिला
- अरूणाचल प्रदेश:
- युद्ध, मुखौटा, पोनुंग, बुइया
– अरुणाचल प्रदेश के नृत्यों में जनजातीय परंपरा के साथ युद्ध और उत्सव की झलक भी है।
- युद्ध, मुखौटा, पोनुंग, बुइया
- हरियाणा:
- झूमर, फाग, धमाल, लूर, गुग्गा, जोर, गोगोर
– हरियाणवी लोकनृत्यों में फसल काटने, होली और अन्य त्योहारों की उमंग दिखाई देती है।
- झूमर, फाग, धमाल, लूर, गुग्गा, जोर, गोगोर
- मध्यप्रदेश:
- मटकी, जवारा, तरतली
– मध्य प्रदेश के नृत्यों में ग्रामीण जीवन और कृषि से जुड़ी भावनाएँ व्यक्त होती हैं।
- मटकी, जवारा, तरतली
- बिहार:
- जट-जटिन, बिंदेशिया, जात्रा
– बिहार के लोकनृत्यों में प्रेम, विरह और सामाजिक जीवन के पहलुओं को दर्शाया जाता है।
- जट-जटिन, बिंदेशिया, जात्रा
- सिक्किम:
- चू फाट, चटनी, मारूनी
– सिक्किम के नृत्यों में पहाड़ी जीवन और जनजातीय परंपरा का समावेश है।
- चू फाट, चटनी, मारूनी
- त्रिपुरा:
- होजागिरि
– त्रिपुरा के नृत्य में जनजातीय कलाओं की सरलता और आकर्षण मिलता है।
- होजागिरि
- तेलंगाना:
- लम्बाड़ी, गुस्सादी, दप्पू
– तेलंगाना के नृत्यों में उत्सवों के दौरान समूह में नृत्य और संगीत का विशेष महत्त्व होता है।
- लम्बाड़ी, गुस्सादी, दप्पू
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Bahut hi accha topic hai Guru ji
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Thank u bhai
Aap jese guru ji sab ko mile
Thanks sir
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Thank you guru ji